नज़म/तू तू मैं मैं/जसविंदर सिंह काईनौर
देखता हूँ इधर
हो रही है तू तू
देखता हूँ उधर
हो रही है मैं मैं
देखता हूँ जिधर भी
हो रही है तू तू मैं मैं
बस येही तू तू मैं मैं का
हर पासे छाया है सामराज्य
दहिल गया था फिर मेरा
कोमल यह दिल बेचारा
तभी भयभीत होकर
हमने उंनसे किया किनारा
लगे वह कहने
अरे कहाँ जा रहे हो
कहाँ मानने वाले थे वे
फिर ज़ोरं-ज़ोर से हमें पुकारा
फिर तू तू मैं मैं वाले
बोले मुझे शोहदा और बेचारा
आपस में पकडे फिर गिरेबान
शुरू हुई नोक-झोंक व तकरार
चल पडी शब्दों की तलवार
उनकी मैं मैं तू तू में
मैं भी हो गया परेशान
आफत में फंस गयी मेरी जान
फिर वे भागे रहा देखता आलम सारा
सच, हम सबको तू तू मैं मैं ने मारा
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نظم/تو تو میں میں/جسوندر سنگھ کائینور
دیکھتا ہوں، ادھر
ہو رہی ہے تو تو
دیکھتا ہوں، ادھر
ہو رہی ہے میں میں
دیکھتا ہوں، جدھر بھی
ہو رہی ہے تو تو میں میں
بس ییہی تو تو میں میں کا
ہر پاسے چھایا ہے سامراجیہ
دہل گیا تھا پھر میرا
کومل یہ دل بیچارہ
تبھی بھے بھیت ہوکر
ہم نے اننسے کیا کنارا
لگے وہ کہنے
ارے کہاں جا رہے ہو
کہاں ماننے والے تھے وے
پھر زور زور سے ہمیں پکارا
پھر تو تو میں میں والے
بولے مجھے شہدا اور بیچارہ
آپس میں پکڈے پھر گریبان
شروع ہوئی نوک جھونک و تکرار
چل پڈّی شبدوں کی تلوار
انکی میں میں تو تو میں
میں بھی ہو گیا پریشان
آفت میں پھنس گئی میری جان
پھر وے بھاگے رہا دیکھتا عالم سارا
سچ، ہم سب کو تو تو میں میں نے مارا
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